देहरादून: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने राज्य सरकार के तीन वर्षों के कार्यकाल को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के इस कार्यकाल में राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा और उत्पीड़न हुआ है।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि राज्य निर्माण आंदोलन से जुड़े परिवारों की मांगों की अनदेखी की गई है, जिनमें 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण, पेंशन में वृद्धि और वंचित आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण जैसे विषय शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि इन मुद्दों पर सरकार की नीतियां स्पष्ट नहीं हैं, जिससे आंदोलनकारी परिवारों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
उनके अनुसार, राज्य सरकार द्वारा पारित आरक्षण अधिनियम को लेकर न्यायालय में लंबित याचिकाओं के चलते लगभग 12,000 परिवारों को नियुक्तियों में लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कानून बनाकर राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास तो किया है, लेकिन न्यायालय में मामला फंसे होने से वास्तविक लाभार्थी अब भी इंतजार में हैं।
धीरेंद्र प्रताप ने यह भी कहा कि सरकार ने वर्तमान और पूर्व विधायकों की पेंशन में वृद्धि की है, वहीं राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने इसे दोहरी नीति बताते हुए सरकार से संवेदनशीलता दिखाने और समस्याओं का शीघ्र समाधान करने की अपील की।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार तीन सप्ताह के भीतर राज्य आंदोलनकारियों की मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है, तो 14 अप्रैल को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर "आंदोलनकारियों को न्याय दिलाओ – उत्तराखंड बचाओ" नारे के साथ राज्यभर में सत्याग्रह किया जाएगा और विभिन्न स्थानों पर भाजपा सरकार के पुतले जलाए जाएंगे।
इसके साथ ही, उन्होंने दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, बहादुरगढ़, मेरठ, फरीदाबाद, रोहतक, गाजियाबाद सहित अन्य शहरों में रह रहे वंचित आंदोलनकारियों के शीघ्र चिन्हीकरण की भी मांग की है।