देहरादून, 6 जनवरी: उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने बीकेटीसी (बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के कार्यकाल पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि अजेंद्र अजय का कार्यकाल पूरी तरह से विफल और विवादों से घिरा रहा।
दसौनी ने कहा कि बीकेटीसी के अध्यक्ष के तौर पर अजेंद्र अजय के कार्यकाल में अनेक विवाद सामने आए, जिनमें केदारनाथ मंदिर परिसर से 228 किलो सोने का पीतल में तब्दील हो जाना सबसे बड़ा मामला था, जिसका आज तक निस्तारण नहीं हुआ।
प्रमुख विवाद
1. 228 किलो सोने का मामला: केदारनाथ मंदिर परिसर से 228 किलो सोने का पीतल में बदल जाना आज भी सवालों के घेरे में है।
2. क्यूआर कोड विवाद: मंदिर परिसर के बाहर लगाए गए क्यूआर कोड से लाखों रुपए का चंदा जमा हुआ, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वह राशि किसके खाते में गई।
3. वीआईपी कल्चर और नियमों का उल्लंघन: गर्भगृह से फोटो-वीडियो वायरल होना और वीआईपी संस्कृति को बढ़ावा देना मंदिर एक्ट के विरुद्ध था।
भाई-भतीजावाद और अनियमितताएं
दसौनी ने आरोप लगाया कि अजेंद्र अजय ने अपने चहेतों का स्थानांतरण उनकी पसंद के स्थान पर किया। उन्होंने अपने भाई को बीकेटीसी में नियुक्त किया और नियमों का उल्लंघन करते हुए एक महीने बाद उसका वेतन बढ़ा दिया।
पंडा पुरोहितों के अधिकारों में हस्तक्षेप
गरिमा ने कहा कि अजय का कार्यकाल पंडा पुरोहितों और हक-हकूकधारियों के अधिकारों में हस्तक्षेप से भरा रहा, जिससे लगातार विवाद और तनाव बना रहा।
मुख्यमंत्री से निवेदन
दसौनी ने मुख्यमंत्री से अपील की कि बीकेटीसी अध्यक्ष के रूप में किसी ऐसे व्यक्ति को चुना जाए, जो चार धामों की खोई हुई प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को पुनः स्थापित कर सके। उन्होंने कहा, "उत्तराखंड के चार धाम राज्य की रीढ़ की हड्डी हैं। हमें ऐसा नेतृत्व चाहिए, जो उनकी गरिमा और पौराणिक महत्व का संरक्षण कर सके।"
गरिमा मेहरा दसौनी
मुख्य प्रवक्ता, उत्तराखंड कांग्रेस