पहलगाम आतंकी हमले के बाद राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं; सुरक्षा और एकता पर दिया गया ज़ोर


जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है, साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अपनी-अपनी चिंताएं और सुझाव व्यक्त किए हैं।

कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) ने इस हमले को "कायराना और सुनियोजित" बताते हुए इसे गणराज्य के मूल्यों पर सीधा हमला कहा है। पार्टी ने इस जघन्य हमले में मारे गए 26 पर्यटकों और घायल हुए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और शांति बनाए रखने की अपील की। कांग्रेस ने यह भी कहा कि यह हमला एक विशेष समुदाय को निशाना बनाकर किया गया, जो देश में तनाव बढ़ाने की साज़िश का हिस्सा हो सकता है।

सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा कि पहलगाम जैसी त्रिस्तरीय सुरक्षा वाले क्षेत्र में ऐसी घटना होना चिंता का विषय है। पार्टी ने मांग की है कि हमले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके। इसके साथ ही, आगामी अमरनाथ यात्रा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता बताई गई है।


दूसरी ओर, भाजपा ने केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए शुरुआती कदमों का समर्थन करते हुए उन्हें "निर्णायक" और "उचित" बताया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ देश की जनता पूरी तरह सरकार के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि हालिया घटनाओं के बाद भारत सरकार द्वारा लिए गए कड़े फैसले — जैसे सिंधु जल समझौते की समीक्षा, अटारी-बाघा बॉर्डर पर कड़ी निगरानी, और वीजा नीतियों में बदलाव — आतंकवाद को कड़ा संदेश देते हैं।

भट्ट ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में विकास की गति तेज़ हुई है, जिसे पाकिस्तान पचा नहीं पा रहा है। उन्होंने इसे घाटी में शांति और तरक्की को रोकने का एक प्रयास बताया।

दोनों दलों ने अपनी-अपनी तरह से इस हमले की निंदा की है और भारत की सुरक्षा, एकता और शांति को सर्वोपरि बताया है। जहां कांग्रेस ने शांति और पारदर्शिता की अपील की है, वहीं भाजपा ने सरकार की कठोर कार्यवाहियों के प्रति समर्थन जताया है।

आतंकी हमले के बाद की इन राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में एक बात सामान्य रही — देश की सुरक्षा और आम जनता की भावनाओं की प्राथमिकता। आने वाले समय में सभी की निगाहें केंद्र सरकार की ओर हैं कि वह इस चुनौती का कैसे सामना करती है और सुरक्षा व्यवस्था को कैसे और मजबूत किया जाता है।

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