उत्तराखंड में अवैध मदरसों की फंडिंग और संचालन को लेकर जारी कार्रवाई के बीच राजनीतिक बयानबाज़ी तेज होती जा रही है। इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने नजर आ रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कांग्रेस के विरोध को "स्वाभाविक तिलमिलाहट" बताते हुए कहा कि जनता स्वयं इस विषय पर अपना मूल्यांकन करेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अवैध मदरसों की जांच को लेकर सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम राज्य की संस्कृति और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने की दिशा में हैं।
चौहान का कहना था कि राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी), धर्मांतरण विरोधी कानून, दंगारोधी उपाय और अवैध धार्मिक अतिक्रमणों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद अब ऐसे शिक्षण संस्थानों की जांच भी जरूरी है, जिन पर धार्मिक कट्टरता फैलाने का संदेह रहा है।
उन्होंने दावा किया कि सरकार का यह कदम जनता की भावनाओं के अनुरूप है और इससे देवभूमि की पहचान को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जहां-जहां अवैध मदरसे संचालित हो रहे हैं, वहां जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी और अवैध फंडिंग के स्रोतों की भी पड़ताल की जाएगी।
भाजपा प्रवक्ता ने यह भी सवाल उठाया कि सीमित छात्र संख्या के बावजूद इतने अधिक मदरसे क्यों संचालित हो रहे थे और उन्हें चलाने के लिए धन कहां से आ रहा था।
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल कानून और व्यवस्था के दायरे में की जा रही है और इसका उद्देश्य किसी भी समुदाय विशेष को लक्षित करना नहीं है।
राज्य में इस विषय पर राजनीतिक मतभेदों के बीच आगामी समय में जांच की प्रक्रिया और तीव्र हो सकती है, जिस पर सभी पक्षों की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण मानी जा रही है।