नई आबकारी नीति को धार्मिक संरक्षण और रोजगार वृद्धि के लिए अहम कदम बताया गया

देहरादून। प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति को धार्मिक क्षेत्रों के अनुरक्षण, रोजगार बढ़ाने और राजस्व में वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। साथ ही, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना को एक नई शुरुआत बताया गया है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व में लिए गए कैबिनेट निर्णयों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने और धार्मिक स्थलों की गरिमा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

धार्मिक क्षेत्रों के संरक्षण पर जोर

नई आबकारी नीति के तहत धार्मिक स्थलों के निकट शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। इसे देवभूमि की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता के अनुरूप बताया गया है। इसके अलावा, उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त करने को भी एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

रोजगार और कृषि को मिलेगा बढ़ावा

सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी यूनिट के आबकारी शुल्क में 15 वर्षों की छूट दी गई है, जिससे स्थानीय कृषि और बागवानी को बढ़ावा मिलेगा। थोक अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड निवासियों को देने के निर्णय से स्थानीय उद्यमों को नए अवसर मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा, उत्पादों के निर्यात शुल्क में कटौती से राज्य में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

महिलाओं के सशक्तिकरण की पहल

महिलाओं के आर्थिक उत्थान के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना शुरू की है, जिसके तहत 2 लाख रुपये तक का आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा। इसे ‘लखपति दीदी योजना’ की तर्ज पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बताया गया है।


सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में निर्णय

प्रदेश सरकार छात्रों को राज्य आंदोलन और विभूतियों से परिचित कराने के लिए उनके पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना बना रही है। इसे सांस्कृतिक संरक्षण और नई पीढ़ी को राज्य के इतिहास से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

प्रदेश सरकार की इन पहलों को रोजगार, आर्थिक सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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