देहरादून: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सियासत तेज हो गई है। सरकार का दावा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई हो रही है, वहीं विपक्ष इसे लेकर लगातार सवाल उठा रहा है।
भाजपा प्रवक्ताओं के अनुसार, राज्य सरकार ने बीते तीन वर्षों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि में 80 से अधिक लोगों को रिश्वतखोरी के आरोप में रंगे हाथ पकड़ा गया, जबकि कई अन्य को भ्रष्टाचार के मामलों में हिरासत में लिया गया। सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सतर्कता विभाग को सक्रिय किया है और एक टोल-फ्री नंबर 1064 भी जारी किया है, जिससे भ्रष्टाचार के मामलों की तुरंत रिपोर्टिंग और कार्रवाई संभव हो रही है।
भाजपा का कहना है कि उत्तराखंड में खनन विभाग से अब पहले की तुलना में पांच गुना अधिक राजस्व प्राप्त हो रहा है और माफियाओं पर सख्त कार्रवाई की गई है। पार्टी प्रवक्ताओं के मुताबिक, खनन से जुड़े दंड शुल्क में आठ गुना वृद्धि हुई है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
इसके अलावा, सरकारी दावों के अनुसार, पुलिस, बिजली, लोक निर्माण और शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं, जिन पर कार्रवाई जारी है। राज्य में नकल विरोधी कानून लागू किया गया है, जिसे देशभर में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया है।
हालांकि, विपक्ष का कहना है कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के दावों और ज़मीनी हकीकत में अंतर है। कांग्रेस ने राज्य में खनन और शराब माफियाओं के प्रभाव को लेकर सवाल उठाए हैं और सरकार की नीति पर सवाल खड़े किए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा, लेकिन इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई और पारदर्शिता ही जनता के लिए सबसे महत्वपूर्ण होगी।