देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) ने राज्य में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर विरोध तेज कर दिया है। सोमवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें यूसीसी को "काला कानून" करार देते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग उठाई गई।
बैठक में उक्रांद युवा प्रकोष्ठ के निवर्तमान केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि यह कानून उत्तराखंड की पारंपरिक सनातन संस्कृति को पश्चिमी प्रभाव की ओर धकेल रहा है। उन्होंने खासतौर पर लिव-इन रिलेशनशिप से जन्म लेने वाले बच्चों को संपत्ति अधिकार दिए जाने के प्रावधान पर आपत्ति जताई और कहा कि इससे भारतीय संस्कृति के 16 संस्कारों की परंपरा टूट जाएगी, जिससे सामाजिक ताना-बाना कमजोर होगा।
बिष्ट ने यह भी कहा कि यूसीसी के तहत महज एक साल उत्तराखंड में रहने वाले व्यक्ति को स्थायी निवासी का दर्जा देने का प्रावधान राज्य के युवाओं के लिए खतरा बन सकता है। इससे सरकारी नौकरियों में बाहरी लोगों को लाभ मिलने का रास्ता खुल जाएगा, जिससे स्थानीय युवाओं के रोजगार के अवसर प्रभावित होंगे।
बैठक में निर्णय लिया गया कि इस कानून के विरोध में उक्रांद राज्यव्यापी जनजागरण अभियान चलाएगा। इसके तहत नारसन से नीती गाँव तक पदयात्रा निकालकर जनता को इस कानून के प्रभावों के प्रति जागरूक किया जाएगा। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह यात्रा सरकार पर दबाव बनाने और जनता को उनके मूल अधिकारों के प्रति सजग करने के लिए महत्वपूर्ण कदम होगी।
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