हल्द्वानी: नैनीताल दुग्ध संघ की प्रस्तावित बैठक को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। सबसे बड़ा विवाद इस बात को लेकर है कि संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा, जो गंभीर आपराधिक मामलों में जेल में बंद हैं, पुलिस सुरक्षा में इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस अभूतपूर्व घटना ने सहकारिता व्यवस्था और कानून-व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्यों विवादों में घिरी यह बैठक?
मुकेश बोरा पर धारा 376 (बलात्कार) और पोक्सो एक्ट के तहत गंभीर आरोप हैं, जिसके चलते वे पिछले चार महीनों से जेल में बंद हैं। अब प्रशासन ने जेल के भीतर ही उनकी अध्यक्षता में बैठक आयोजित करने की अनुमति दे दी है। यह पहली बार होगा जब किसी सहकारी संस्था की बैठक जेल के अंदर होगी, जिससे विपक्ष और सामाजिक संगठनों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
राजनीतिक घमासान
इस फैसले को लेकर कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला है। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने इसे कानून व्यवस्था की विफलता बताते हुए सवाल उठाया कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद मुकेश बोरा अब भी अपने पद पर क्यों बने हुए हैं। उन्होंने कहा, "ऐसे मामलों में दोषियों को त्वरित दंड और सामाजिक बहिष्कार मिलना चाहिए, न कि जेल से बैठकर सहकारी संस्थाओं का संचालन करने की अनुमति।"
प्रशासन की सफाई
प्रशासन का कहना है कि कानूनी दायरे में रहते हुए बैठक को मंजूरी दी गई है। अधिकारी इसे एक सहकारी संस्था की नियमित कार्यवाही बता रहे हैं, जहां तय प्रक्रियाओं के तहत बैठक आयोजित की जा रही है। हालांकि, जेल में बैठक होने के कारण सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं।
महापंचायत की घोषणा से बढ़ा विवाद
इस विवाद को और हवा देते हुए पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने 29 जनवरी को जेल के बाहर महापंचायत बुलाने की घोषणा कर दी है। इससे स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो सकती है। आलोचकों का मानना है कि जेल में बंद आरोपियों को किसी भी तरह की राजनीतिक या प्रशासनिक शक्ति बनाए रखने की अनुमति देना समाज में गलत संदेश देता है।