श्री भट्ट ने कहा कि हरीश रावत की राजनीतिक सक्रियता के बावजूद उन्हें यह नहीं पता कि उनका नाम किस क्षेत्र की मतदाता सूची में दर्ज है। उन्होंने तंज करते हुए कहा, “कभी हरिद्वार, कभी अल्मोड़ा और कभी उधम सिंह नगर से चुनाव लड़ने वाले हरिश रावत को यह तक पता नहीं कि वे ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता हैं या शहरी क्षेत्र के। यह स्थिति उनकी राजनीतिक भ्रम की ओर इशारा करती है।”
भाजपा नेता ने इसे एक "हार की बौखलाहट" करार देते हुए कहा कि जब हार स्पष्ट होती है, तो इस तरह की बहानेबाजी स्वाभाविक हो जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि श्री रावत को एक जागरूक मतदाता बनकर समय रहते अपने मतदाता विवरण की जांच करनी चाहिए थी।
महेंद्र भट्ट ने स्वयं को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि वे भी ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता हैं और इस बार वोट नहीं डाल पाएंगे। उन्होंने अफसोस जताया कि हरीश रावत जैसे वरिष्ठ नेता से इस तरह की "हल्की राजनीति" की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा कि ऐसे दिखावटी नाटक जनता को भ्रमित करने का प्रयास हैं और श्री रावत को अपने कार्यकर्ताओं के लिए एक सकारात्मक उदाहरण पेश करना चाहिए।
इस विवाद ने उत्तराखंड की सियासत में एक बार फिर गर्मी ला दी है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। आगामी चुनावों के बीच इस तरह के राजनीतिक बयानों ने जनता के बीच नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।
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