पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा गोलज्यू मंदिर में अर्जी लगाने को लेकर दिए गए बयान पर भारतीय जनता पार्टी की प्रतिक्रिया सामने आई है। प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा है कि यह कदम एक राजनेता की रणनीति जैसा प्रतीत होता है, न कि एक श्रद्धालु के भाव जैसा।
मनवीर चौहान ने कहा कि देवभूमि की आस्था और परंपराओं का सम्मान सभी राजनीतिक दलों को करना चाहिए, लेकिन किसी भी धार्मिक स्थल या देवता को राजनीतिक वाद-विवाद का केंद्र बनाना अनुचित है। उन्होंने कहा कि गोलज्यू महाराज न्याय के देवता माने जाते हैं, जो हमेशा निष्पक्ष रूप से गुण और दोष के आधार पर निर्णय देते हैं।
चौहान ने रावत के पूर्व बयानों और फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि राजनीति में लिए गए कुछ निर्णयों से सनातन परंपराओं के अनुयायी आहत हुए हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि गंगा को लेकर दिए गए एक पुराने बयान से धार्मिक आस्थाएं प्रभावित हुई थीं। इसके साथ ही, उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में मुस्लिम यूनिवर्सिटी से संबंधित चर्चाओं और धार्मिक आधार पर जनसंख्या असंतुलन की आशंकाओं पर भी सवाल उठाए।
मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार वर्तमान में जनसंख्या संतुलन और अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर सख्ती से कार्य कर रही है। इसके तहत बनाए गए नियमों और चलाए जा रहे अभियानों को जनता का समर्थन प्राप्त हो रहा है।
कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति के कारण बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं की अनदेखी करना किसी भी रूप में उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि आत्ममंथन की आवश्यकता कांग्रेस को है, और यदि पूर्व मुख्यमंत्री वास्तव में आत्मग्लानि में हैं तो उन्हें शांति की तलाश सच्चे भाव से करनी चाहिए।
राजनीतिक बयानबाजियों के बीच यह स्पष्ट है कि देवभूमि उत्तराखंड की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक पहचान के विषय पर राजनीतिक दलों के बीच गहन विमर्श जारी है। ऐसे मुद्दों पर सभी पक्षों से संतुलित और संवेदनशील रवैया अपेक्षित है।