खनन राजस्व में वृद्धि पर सियासी बयानबाज़ी, सरकार ने बताया उपलब्धि, विपक्ष ने उठाए सवाल


देहरादून: राज्य में खनन राजस्व में हुई वृद्धि को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। सरकार का दावा है कि उनकी पारदर्शी नीतियों के चलते प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है, जबकि विपक्ष इसे लेकर लगातार सवाल उठा रहा है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने खनन राजस्व में हुई वृद्धि को राज्य की आर्थिकी के लिए सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में खनन से राजस्व में तीन गुना से अधिक वृद्धि हुई है और अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई के चलते माफियाओं से वसूली में भी बढ़ोतरी हुई है।

भट्ट ने कहा कि सरकार की सख्ती और पारदर्शी खनन नीति के कारण अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया गया है। ई-निविदा और ई-नीलामी के माध्यम से खनन पट्टों का आवंटन सुनिश्चित किया गया, जिससे वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक लगभग 1,025 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो चुका है और यह आंकड़ा 1,100 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।

विपक्ष के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए भट्ट ने कहा कि सरकार द्वारा अवैध खनन पर की गई सख्त कार्रवाई से कुछ लोग असहज महसूस कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि पिछले पांच वर्षों में अवैध खनन पर लगने वाले जुर्माने की राशि 8 गुना बढ़ी है, जो 18.05 करोड़ रुपये से बढ़कर 74.22 करोड़ रुपये हो गई है।

हालांकि, विपक्ष ने इन दावों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि खनन से जुड़ी पारदर्शिता और पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार को और स्पष्ट नीति अपनाने की जरूरत है। उनका तर्क है कि खनन क्षेत्र में बढ़ते राजस्व के बावजूद राज्य में पर्यावरणीय संतुलन और संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग पर ध्यान देना ज़रूरी है।

राज्य में खनन नीतियों और इसके प्रभाव को लेकर राजनीतिक मतभेद जारी हैं। सरकार इसे आर्थिक उपलब्धि मान रही है, जबकि विपक्ष इससे जुड़े पहलुओं पर सवाल उठा रहा है। आने वाले दिनों में इस विषय पर और चर्चा होने की संभावना है।


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