लैंसडाउन क्षेत्र में हाल के दिनों में पशुओं द्वारा उत्पन्न खतरे और उससे जुड़ी घटनाओं को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ तेज हो गई हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने विधायक दिलीप रावत द्वारा दिए गए इस्तीफ़े संबंधी बयान पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए दिया गया यह बयान वास्तविक समाधान से अधिक “राजनीतिक प्रतिक्रिया” प्रतीत होता है।
धीरेंद्र प्रताप कांग्रेस के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष विकास नेगी के कार्यग्रहण समारोह में शामिल होने देहरादून पहुंचे थे। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने आगामी राजनीतिक गतिविधियों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पार्टी 14 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली एक बड़ी रैली के लिए जनसमर्थन जुटा रही है, जिसमें राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहभागिता करेंगे। इस रैली का आयोजन विभिन्न मुद्दों को लेकर जनता से संवाद और समर्थन प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा दौरे का मुख्य उद्देश्य इसी दिल्ली कार्यक्रम के लिए तैयारियाँ करना है। इसके बाद वे लैंसडाउन विधानसभा और गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के उन हिस्सों का दौरा करेंगे जहाँ हाल के दिनों में वन्यजीवों से संबंधित घटनाएँ सामने आई हैं। उनका कहना है कि इन क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की समस्याओं और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता से समझा जाएगा।
मुख्यमंत्री द्वारा घोषित राहत नीति पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी। राज्य सरकार ने हाल ही में यह घोषणा की थी कि वन्यजीवों के हमलों में मारे गए व्यक्तियों के परिजनों को 10 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। इस पर धीरेंद्र प्रताप ने दावा किया कि अभी तक किसी भी प्रभावित परिवार को पूरी राशि नहीं मिली है। उनके अनुसार अब तक परिवारों को केवल 2 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई है, जिसके बाद वन विभाग के अधिकारी वापस लौट गए।
क्षेत्र में वन्यजीवों का बढ़ता दबाव स्थानीय जनजीवन के लिए चुनौती बना हुआ है। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं, जबकि स्थानीय नागरिक समाधान और राहत की अपेक्षा कर रहे हैं।