पश्चिम बंगाल में हिंदू समुदाय के उत्पीड़न के विरोध में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने और राज्य की मौजूदा सरकार को बर्खास्त करने की मांग की।
ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के विरोध की आड़ में राज्य भर में हिंसा फैलायी जा रही है और हिंदू समुदाय को प्रताड़ित किया जा रहा है, जो कि अस्वीकार्य है। ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि राज्य सरकार, जो राष्ट्र विरोधी और हिंदू विरोधी तत्वों को अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने की छूट दे रही है, उसे तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए।
विहिप के प्रांत अध्यक्ष रवि देव आनंद ने कहा कि मुर्शिदाबाद से शुरू हुई हिंसा अब पूरे बंगाल में फैलती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के शासकीय तंत्र ने दंगाइयों के सामने निष्क्रियता दिखायी है, और कई स्थानों पर सरकार ने इन तत्वों को सहायक या प्रेरक के रूप में काम किया है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि स्थिति नियंत्रण से बाहर होने से पहले प्रशासन का नियंत्रण अपने हाथ में लेकर दोषियों को कठोर सजा दिलवायी जाए।
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि बंगाल की हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से कराई जाए और दोषियों को शीघ्र दंडित किया जाए। साथ ही, राज्य की कानून व्यवस्था का संचालन केंद्रीय सुरक्षा बलों के हवाले किया जाए। इसके अलावा, बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें निष्कासित करने की भी मांग की गई।
प्रदर्शन का नेतृत्व विहिप देहरादून उत्तर दक्षिण के अध्यक्ष डॉ माधव मैथानी, अनिल मैसोन (जिला मंत्री), श्याम शर्मा, विशाल चौधरी और अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं ने किया। प्रदर्शन में विहिप के प्रांत मठ मंदिर प्रमुख सुभाष जोशी, बजरंग दल के प्रांत साप्ताहिक मिलन प्रमुख विकास वर्मा, और विभाग मंत्री आलोक सिन्हा भी उपस्थित रहे।