देहरादून: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार द्वारा जल्दबाजी में UCC लागू करने के फैसले पर कड़ा विरोध जताया है। इस विरोध के केंद्र में 24 अक्टूबर को प्रस्तावित 'ताण्डव रैली' है, जिसके माध्यम से मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की योजना बनाई गई है।
आंदोलन के प्रमुख नेता आनंद प्रकाश जुयाले ने प्रेसवार्ता में कहा कि अलग उत्तराखंड राज्य की लड़ाई में पत्रकारों और समाचार पत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उत्तराखंड की स्थापना भाजपा द्वारा किए गए दावे के विपरीत, एक संवैधानिक विवशता थी, जिसकी घोषणा 15 अगस्त 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा ने की थी। इसके बावजूद, राज्य गठन के समय भाजपा सरकार ने उत्तराखंड की अवधारणा के विपरीत 29 संशोधन किए, जिससे राज्य को राजधानी विहीन और कर्ज में डूबा छोड़ दिया गया।
UCC के खिलाफ विरोध
समान नागरिक संहिता (UCC) के मुद्दे पर जुयाले ने कहा कि राज्य सरकार ने विपक्ष की मांगों को नजरअंदाज करते हुए 9 नवंबर को इसे लागू करने की घोषणा कर दी है। इसके तहत, राज्य में एक साल से रहने वाले सभी नागरिकों को मूल निवास के अधिकार मिल जाएंगे, जो उत्तराखंड की अलग राज्य की अवधारणा, मूल-निवास और भू-कानून की व्यवस्था के खिलाफ है।
आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्य की जनता इस कानून का पुरजोर विरोध कर रही है और मांग कर रही है कि इसे सर्वदलीय बैठक के बाद ही लागू किया जाए। जुयाले ने इस संदर्भ में राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बिना परिचर्चा के UCC लागू करना जनभावनाओं के साथ धोखा है।
गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग
प्रेसवार्ता में एक और अहम मुद्दा गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाने का था। जुयाले ने आरोप लगाया कि गैरसैंण में विधानसभा भवन लगभग तैयार हो चुका है, लेकिन सरकार ने जानबूझकर कुछ कार्य अधूरे छोड़ दिए हैं ताकि राजधानी को गैरसैंण शिफ्ट न करना पड़े। उन्होंने सरकार से मांग की कि गैरसैंण को तत्काल प्रभाव से राज्य की स्थायी राजधानी घोषित किया जाए और सभी सरकारी कार्य वहीं से संचालित हों।
अनुच्छेद 371 और भू-कानून की मांग
उत्तराखंड के हितों की रक्षा के लिए जुयाले और उनके साथियों ने मांग की कि राज्य में अनुच्छेद 371 की तर्ज पर सख्त भू-कानून लागू किया जाए, जैसा कि अन्य हिमालयी राज्यों में है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनें भी माफियाओं के निशाने पर हैं, और इस कानून की अनुपस्थिति में स्थानीय निवासियों के अधिकार खतरे में हैं।
उत्तर प्रदेश से परिसंपत्तियों की वापसी
जुयाले ने उत्तर प्रदेश सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि 24 वर्षों बाद भी उत्तराखंड की परिसंपत्तियां उत्तर प्रदेश के कब्जे में हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस की डबल इंजन की सरकारें इस मुद्दे पर अब तक निष्क्रिय रही हैं, और उत्तराखंड की परिसंपत्तियों की वापसी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
रैली का ऐलान
आंदोलनकारियों ने 24 अक्टूबर को 'ताण्डव रैली' के तहत मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की घोषणा की है। रैली सुबह 10.30 बजे परेड ग्राउंड में एकत्रित होकर 11 बजे मुख्यमंत्री आवास के लिए रवाना होगी। जुयाले ने राज्य की जनता, सभी क्षेत्रीय दलों, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस रैली में शामिल होकर समर्थन दें।
रैली के प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं—उत्तराखंड में मूल निवास की प्रक्रिया का बहाल होना, अनुच्छेद 371 के तहत सख्त भू-कानून लागू करना, गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाना और उत्तर प्रदेश से राज्य की परिसंपत्तियों की वापसी।
मुख्यमंत्री से बातचीत की अपील
आंदोलनकारी संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार को समान नागरिक संहिता पर सभी दलों और संगठनों से चर्चा कर इसे सर्वसम्मति से लागू करना चाहिए।