ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में 90% से अधिक सुरंग निर्माण पूरा, सरकार ने दी जानकारी

 ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की प्रगति को लेकर राज्यसभा में चर्चा हुई, जिसमें बताया गया कि इस परियोजना का 90% से अधिक सुरंग निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस विषय पर प्रश्न उठाया था, जिसके उत्तर में रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विस्तृत जानकारी दी।


परियोजना की प्रगति और महत्व
यह 125 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना हिमालयी क्षेत्र के कठिन भूवैज्ञानिक और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थितियों से होकर गुजरती है। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड में परिवहन संपर्क को सुदृढ़ करना है, जिससे ऋषिकेश और राष्ट्रीय राजधानी से देवप्रयाग और कर्णप्रयाग जैसे धार्मिक व पर्यटन स्थलों को रेल सुविधा मिलेगी।

रेल मंत्री के अनुसार, परियोजना में कुल 16 मुख्य सुरंगों का निर्माण होना है, जिनकी कुल लंबाई 105 किलोमीटर होगी, साथ ही 12 बचाव सुरंगें भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल लंबाई 98 किलोमीटर होगी। अब तक, 94 किलोमीटर की 9 मुख्य सुरंगों और 88 किलोमीटर की 8 बचाव सुरंगों का निर्माण पूरा किया जा चुका है। निर्माण कार्य को गति देने के लिए 8 प्रवेश मार्ग भी चिह्नित किए गए हैं, जिससे सुरंग खुदाई के लिए अतिरिक्त कार्य क्षेत्र तैयार किए जा सकें।

श्यामपुर में बैली ब्रिज निर्माण पूरा
इसके अलावा, सांसद महेंद्र भट्ट ने ऋषिकेश के श्यामपुर क्षेत्र में वैली ब्रिज के निर्माण कार्य की प्रगति पर भी जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की ओर से बताया गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग-58 (अब एनएच-34) पर 219.4 किलोमीटर पर स्थित 24 मीटर स्पैन वाले बैली ब्रिज का निर्माण 429.19 लाख रुपये की लागत से पूरा कर लिया गया है। साथ ही, उत्तराखंड में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 2014 में 2,282 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 3,664 किलोमीटर हो गई है।

इस रेल परियोजना के पूरा होने से चारधाम यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही स्थानीय लोगों को सुगम यातायात की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

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