उत्तराखंड बना यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य, कैबिनेट की मंजूरी पर छिड़ा सियासी संग्राम

देहरादून, 20 जनवरी: उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नियमावली को राज्य कैबिनेट की मंजूरी देकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस निर्णय ने राज्य को देश का पहला ऐसा प्रदेश बना दिया है, जहां यूसीसी लागू होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सरकार और विपक्ष के बीच इसे लेकर बयानबाजी तेज हो गई है।


भाजपा ने जताई खुशी, मुख्यमंत्री का आभार
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कैबिनेट के फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मंत्रिमंडल को धन्यवाद दिया। उन्होंने इसे "देश में समान नागरिक संहिता की नींव रखने वाला" कदम बताया। भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड के इस फैसले से अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल तैयार होगा और यह दिखाएगा कि कानून को लागू करना न केवल संभव है, बल्कि लाभकारी भी हो सकता है।

उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यूसीसी को लेकर डर और भ्रम फैलाने की राजनीति अब बंद होनी चाहिए। भट्ट ने कहा कि इस कानून से सभी नागरिकों को समान कानूनी अधिकार मिलेंगे और किसी भी समुदाय के अधिकारों का हनन नहीं होगा।

विपक्ष के आरोप और सरकार की सफाई
कांग्रेस ने यूसीसी को लेकर कई सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह कानून जनजातीय समुदायों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा इस मुद्दे का इस्तेमाल करके समाज में ध्रुवीकरण कर रही है।

इसके जवाब में महेंद्र भट्ट ने स्पष्ट किया कि जनजातीय समुदायों के कुछ अधिकार केंद्र सरकार के अधीन हैं, जिन्हें फिलहाल यूसीसी के दायरे से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में जनजातीय समाज की सहमति मिलने पर उन्हें भी इस कानून में शामिल किया जाएगा।

देवभूमि से शुरू हुआ बदलाव का संदेश
भाजपा ने इसे उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण बताया और कहा कि यह कदम राज्य की "सनातन संस्कृति" की जड़ों से जुड़ा हुआ है। भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड से बेहतर स्थान इस कानून की शुरुआत के लिए कोई और हो ही नहीं सकता।

क्या है यूसीसी और इसके प्रभाव?
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू करना है, चाहे उनका धर्म, जाति, या समुदाय कोई भी हो। इसके तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, और गोद लेने जैसे मुद्दों पर एकसमान कानून होगा। समर्थकों का कहना है कि इससे समाज में समानता बढ़ेगी, जबकि आलोचकों को डर है कि यह सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को प्रभावित कर सकता है।

राजनीतिक दृष्टिकोण
जहां भाजपा इसे देश में बड़े बदलाव की शुरुआत मान रही है, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक एजेंडे के तहत लाया गया कदम बता रहा है। आने वाले समय में उत्तराखंड का यह फैसला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन सकता है।

This article is based on a press release issued by the Bhartiya Janta Party. While GNN has adapted the content for journalistic clarity and neutrality, the information and views presented originate from the press release. For More info, CLICK HERE.

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