देहरादून: नगर निकाय चुनाव के नजदीक आते ही देहरादून में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाकर जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटी हैं।
शनिवार को कांग्रेस ने अपने मेयर प्रत्याशी, राज्य आंदोलनकारी विरेंद्र पोखरियाल के समर्थन में व्यापक जनसंपर्क और जनसभाएं कीं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए भाजपा ने अपने मौजूदा मेयर प्रत्याशी को बदल दिया। माहरा ने कहा, "देहरादून नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर रहा है। भाजपा ने आय से अधिक संपत्ति के आरोपों की जांच तक नहीं की।"
माहरा ने आगे कहा कि कांग्रेस ने राज्य आंदोलनकारी विरेंद्र पोखरियाल को मैदान में उतारकर एक ईमानदार और जनता के मुद्दों को समझने वाले उम्मीदवार को मौका दिया है। उन्होंने वादा किया कि पोखरियाल के नेतृत्व में नगर निगम में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने का प्रयास किया जाएगा।
भाजपा के खिलाफ कड़ी आलोचना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भाजपा पर बस्तियों को तोड़ने और गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "भाजपा के शासन में गरीबों के घरों पर खतरा बढ़ा है। कांग्रेस की सरकार आते ही बस्तियों को सुरक्षित किया जाएगा और बेघर होने का डर खत्म होगा।"
विकास और युवाओं पर ध्यान
कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी विरेंद्र पोखरियाल ने जनता से वादा किया कि नगर निगम को एक आदर्श नगर निगम बनाया जाएगा। उन्होंने कहा, "नगर निगम में विकास के नाम पर अब तक हुए भ्रष्टाचार को उजागर किया जाएगा। मैं छात्रों, युवाओं और बेरोजगारों की समस्याओं को प्राथमिकता दूंगा।"
जनसभाओं और जनसंपर्क अभियान में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस ने वार्ड 46 अधोईवाला, वार्ड 31 कौलागढ़, वार्ड 28 डालनवाला उत्तर सहित अन्य क्षेत्रों में जनसभाओं और पदयात्राओं का आयोजन किया। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने स्थानीय जनता से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की।
कांग्रेस के जनसंपर्क अभियान में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह, हीरा सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक राजकुमार सहित कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए।
निकाय चुनाव में बढ़ी राजनीतिक हलचल
निकाय चुनाव के इस दौर में जनता के लिए एक बड़ा सवाल है: भ्रष्टाचार और विकास के दावों के बीच किस पार्टी पर भरोसा किया जाए? भाजपा और कांग्रेस के बीच जारी तीखे आरोप-प्रत्यारोप के बीच मतदाता अब अपनी प्राथमिकताओं और मुद्दों के आधार पर फैसला करने की तैयारी कर रहे हैं।