उत्तराखंड सरकार में मंत्री गणेश जोशी पर आय से अधिक संपत्ति को लेकर विजिलेंस जांच के मामले में अब पूरे प्रदेश की निगाहें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर टिकी हैं। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि विजिलेंस विभाग ने धामी कैबिनेट से तीन महीने पहले जांच की संस्तुति की मांग की थी, और अब मात्र दो दिन बचे हैं। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि "जीरो टॉलरेंस" का नारा भारतीय जनता पार्टी की सरकार के लिए मात्र एक जुमला है या वह इसे वाकई आत्मसात करती है।
गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा, "यह पहली बार नहीं है जब गणेश जोशी पर कोई आरोप लगा हो। इससे पहले भी उद्यान घोटाला, जिसमें सीबीआई ने करोड़ों के घोटाले का बड़ा खुलासा किया था, या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'सैन्य धाम' के निर्माण में पसरा हुआ भ्रष्टाचार, या किसान सम्मान निधि की बंदरबांट जैसे मामलों में गणेश जोशी विवादों का पर्याय रहे हैं।" उन्होंने कहा कि प्रचंड बहुमत और डबल इंजन की सरकार ने हमेशा गणेश जोशी की ढाल बनने का काम किया है।
दसौनी ने कहा, "अब पानी सर से ऊपर निकल चुका है। गणेश जोशी की मुश्किलें इतनी आसानी से खत्म नहीं होंगी।" उन्होंने यह भी कहा कि अगर गणेश जोशी में जरा भी जमीर और नैतिकता बची है, तो उन्हें खुद ही अपने पद से इस्तीफा देकर अपनी पार्टी और सरकार को संकट से बाहर निकालना चाहिए। गरिमा ने तर्क दिया कि इतने महत्वपूर्ण और भारी-भरकम पद पर बैठकर जोशी अपने खिलाफ होने वाली जांच को प्रभावित भी कर सकते हैं, इसलिए उनका मंत्री पद से त्यागपत्र देना जरूरी हो जाता है।
दसौनी ने आरोप लगाया कि प्रदेश में दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। "एक तरफ गरीबों पर बुलडोजर चलाना, विपक्षी नेताओं के घर ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स की रेड और दूसरी तरफ सत्ता रूढ़ दल के नेता पर गंभीर आरोप लगते हैं तो उसके लिए सरकार विधिक राय लेने लगती है," उन्होंने कहा। दसौनी ने आरोप लगाया कि पूरी सरकार गणेश जोशी को बचाने का भरसक प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जाग चुका है और भाजपा के मंत्री के कारनामे उजागर हो चुके हैं। ऐसे में जब स्वयं भाजपा के हरिद्वार से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री को धर्म का पाठ पढ़ा रहे हैं और अपराध के मामले में अपना पराया न करने की नसीहत दे रहे हैं, तो सरकार के सामने कोई दूसरा रास्ता दिखाई नहीं देता।
गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार से अपेक्षा करते हुए कहा कि "धामी सरकार अपने 'जीरो टॉलरेंस' के नारे की सार्थकता को बनाए रखते हुए गणेश जोशी पर निष्पक्ष और बिना दबाव के जांच को अंजाम देगी। इसका पूरे उत्तराखंड को इंतजार रहेगा।"